हिमालय
खड़ा हिमालय बता रहा है डरो न आंधी पानी में। खड़े रहो तुम अविचल होकर सब संकट तूफानी में। डिगो न अपने प्रण से‚ तो तुम सब कुछ पा सकते हो प्यारे‚ तुम भी ऊंचे उठ सकते हो छू सकते हो नभ के तारे। अचल रहा जो अपने पथ पर लाख मुसीबत आने में‚ मिली सफलता जग में उस को जीने में मर जाने में।